वो क्षार सी कहानी तेरी ..,
वो आबे-जार सी रवानी तेरी ..,
जो जिया बनकर चलती है ..,
वो बेनजीर सी जवानी तेरी ...,
बिस्मिल हुआ तेरे गिल -ऐ-ज़मान का ..,
तेरी हुयी ये आबिद सी ज़िन्देगनी मेरी .....!!!!!
(क्षार -झरना), (आबे -जार :- सोने की सियाही), (जिया - रूशनी ),(बेनजीर - सबसे अलग ),(बिस्मिल - घायल), (आबिद - डेवोतिओन)
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मेरा अफसाना न पूछ कासिद ,
के बार बार बर्बाद होकर भी..
में हर बार इश्क को आजमाने निकल पड़ता हूँ ...!!!!
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इन्तेहाँ तेरे इंतज़ार की दिल में आग सी लगा देती है ...,
ये सुर्खइ तेरे लबों की हज़ार शब्नामो को जल देती है ...,
बस रख लेता हूँ मै इन सासों को संभल कर ...,
के तू जो आती है तो ये धड़कने भी दगा सा देती है ...!!!!
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यूँ चाहत से चाहत को मेरी आरज़ू बनाकर ...,
रहती क्यूँ खामोश हो तुम ...,
कभी इजहारे मोहब्बत तो करके देखो ...,
दीवानगी की हद है इस दिल में मेरे कर गुज़र जाने की ...!!!!
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दिल की ख्वैश्यों का गुबार तो देखो ...,
उसके इश्क का चढ़ा कैसा खुमार , तो देखो ...,
नींदे उड़ गयी मेरी ख्यालों में उसके ...,
करता हूँ कसी मै उसका इंतज़ार , तो देखो ...!!!!
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वो जो कल हुयी थोड़ी सी शरारत थी ...,
तेरे नर्म दस्तो में एक हरारत थी ..,
साँसे वो तेरी कुछ उभरी उभरी सी ..,
बाते वो तेरी कुछ डूबी डूबी सी ...,
जुल्फों में समेटे वो लाख कुश्बूयें तू ...,
नज़रों में तेरी मुझे एक इजाज़त थी ...!!!!
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इतना सा तो असर वो बारिश भी कर जाती है .,
बहते हुए पानी में आँखों को तर कर जाती है ...,
तूने किया तो क्या ज़रार हुआ ..,
आँखें ही तो है हर दर्द में भर आती है ..!!!
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