Wednesday 4 September 2013

ज़िन्दगी क्या है...

मैंने सोचा ये बड़े गौर से ..
गुज़र के हर एक दौर से...,

के ज़िन्दगी क्या है...

ये रासतां है निकला हुआ उलझनों के हर मौड़ से...,
लहरों का सफ़र है जो ख़त्म होता है टकराकर किसी छौर से...,

ये साँसे होती है थके मुसाफिर की जो चलती है ज़ोर-ज़ोर से...,
एक डोर है जो  खिंची जाती है कभी इस ओर से कभी उस ओर से...,

कोई मुकाबला हो जैसे जो शुरू भी होता हो और ख़तम भी एक दौड़ से...,
बोहुत ढूंडा ज़माने की भीड़ में रुबरुं होकर हर शौर से...,

दोस्त तुम भी सोचो जवाब इस सवाल का ...
ज़रा गौर से और गुज़र के किसी दौर से...!!!!



                                                                  $almAn....

ज़िन्दगी है ज़िन्दगी को जी रहां हूँ मै...!!

ज़िन्दगी है ज़िन्दगी को जी रहां हूँ मै...,
कभी हंस कर कभी रोकर गम पी रहा हूँ मै ...,
ज़ख़्म खाकर अपनों से होंटों को सी रहा हूँ मै...,
ज़िन्दगी है ज़िन्दगी को जी रहां हूँ मै...!!

फकत एक रस्म है जीने की मेहज़ ज़माने मे...,
मुददतों से वही निभा रहा हूँ मै...!!


कोई ख्वाइश न रही इस दौरे ज़िन्दगी से...,
फिर भी ज़मान को अपने अश्कों से भीगा रहा हूँ मै...!!


कश्ती जो इरादों से बनायीं थी चाहत की ...,
हालात के तूफानों से उसे डग मगा रहा हूँ मै...,

बस ज़िन्दगी है ज़िन्दगी को जी रहां हूँ मै...!!


                                             $almAn...

Tuesday 3 September 2013

बेवफा कौन रहा इन इश्क की राहों पर पता नहीं..., पर बदनाम हर ज़माने में आशिक हुआ...

मेरा मुझसे से ही कुछ छूट गया ...,
वो मोहब्बत का ख़ुदा हमसे रूठ गया ...,
वफायें करी हज़ार हमने...,
फिर भी वो शीशा वादों का टूट गया...!!

बेवफा कौन रहा इन इश्क की राहों पर पता नहीं...,
पर बदनाम हर ज़माने में आशिक हुआ...!!
कुछ मजबूरी रही होंगी उसकी भी क्यूँ समझे नहीं लॊग...,
बस नाम देकर दगा का किया उसे धुंवा धुंवा ...!!!!


                   
                     $almAn...