Wednesday 4 September 2013

ज़िन्दगी है ज़िन्दगी को जी रहां हूँ मै...!!

ज़िन्दगी है ज़िन्दगी को जी रहां हूँ मै...,
कभी हंस कर कभी रोकर गम पी रहा हूँ मै ...,
ज़ख़्म खाकर अपनों से होंटों को सी रहा हूँ मै...,
ज़िन्दगी है ज़िन्दगी को जी रहां हूँ मै...!!

फकत एक रस्म है जीने की मेहज़ ज़माने मे...,
मुददतों से वही निभा रहा हूँ मै...!!


कोई ख्वाइश न रही इस दौरे ज़िन्दगी से...,
फिर भी ज़मान को अपने अश्कों से भीगा रहा हूँ मै...!!


कश्ती जो इरादों से बनायीं थी चाहत की ...,
हालात के तूफानों से उसे डग मगा रहा हूँ मै...,

बस ज़िन्दगी है ज़िन्दगी को जी रहां हूँ मै...!!


                                             $almAn...

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