Friday 19 July 2013

अब कोई चाहत भी नहीं इसे बुझाने में .......


अरसा लगा हमे उसे भुलाने में..,
बर्बाद भी हुए हम इसी बहाने में ...,
खुदा जाने के सच हुआ ये या एक गफलत है..,
हम तो आज भी बदनाम है नाम से उसके इस ज़माने में ...!!

अब सोचा है की थोड़ी सी राहत देंदे तुझको भी कुछ फासला बनाकर खुदसे...,
जाने कितने ही जतन करने पड़े इस दिल को मानाने में...,
आग सी लगी है सीने में जुदा होकर तुझसे ...,
पर अब कोई चाहत भी नहीं इसे बुझाने में ....!!

मै मुजरिम हुआ तेरा भी और खुद का भी ..
मोहब्बत को मुकम्मल निभाने में...,
बस यही दुआ है
खुदा से अब मेरी...,
के अता करें सब्र हमे वो किसी बहाने से ...!!!!


                              $almAn...