Friday 28 June 2013

अलफ़ाज़ ही नहीं अब दर्मिया हमारे ...

अलफ़ाज़ ही नहीं अब दर्मिया हमारे ...
ये वक़्त का कैसा ज़ेहर हुआ ..
यूँ मिलकर जुदा हुए दो दिल अपने ...,
जाने ख़ुदा का ये कैसा हमपर केहर हुआ ...!!

यूँ तो हजारों से ताल्लुख छूटे अपने, कोई फर्क न पड़ा...,
पर जाने क्यूँ छूट कर तुझसे ...,
वीरां सा ये सारा शहर हुआ ...!!!!


                             $almAn...

वो अब नूर ही क्या बिना तेरे ...

वो अब नूर ही क्या बिना तेरे ...,
वो अब मै दूर ही क्या बिना तेरे ...,
धडकनों की अब क्या कहानी मेरी ...,
वो अब नज़रों  में सुरूर ही क्या बिना तेरे...!!

एक ज़माना जिया मेने आघोष में तेरे...,
साँसों की अब क्या रही कहानी मेरी...,
है सब लुटा लुटा सा बिना तेरे...,
मै खुद में ही हूँ घुटा घुटा सा बिना तेरे...!!

हूँ जिंदा मेहज़ मै जीने के  लिए...,
लहूँ में  बची कहा अब रवानी मेरी...,
खाविश्यें भी अब होती नहीं बिना तेरे...,
आंखें  भी अब सोती नहीं बिना तेरे...!!

मै मजबूर हूँ कितना कैसे बताऊँ तुझे ..,
ये समझ भी अब मेरी मुझे समझती नहीं बिना तेरे...,
ये गम है ज़िन्दगी के लिए ज़िन्दगी का मुझपर...,
मै कैसे इसे जियूंगा यादों के बिना तेरे...!!!!


                                          $almAn...