जज़बातों कि वो बात करते है ...
के दीखता नहीं उन्हें कि हम उनपर मरते है ...,है जबसे होश सम्भाला हमने ...,
इश्क़ उन्ही से करते है...,
यूह रेह्कर बेखबर वो हमारी हालत से ...
जज़बातों कि बात करते है ...!!
क्या जुर्म हुआ हमसे जो वो किनारा यूँ करते है...
नाम ही तो बस लेते है उनका जब भी याद वफ़ा को करते है ...
वो चाहे या न चाहे हमे, हम तो चाहत का उनकी दम भरते है ...,
यूँ करके हमपर सितम वो नासमझी का...,
जज़बातों कि बात करते है ...!!
अरे कभी उतर के तो देख ज़रा इन मोहब्बत के चश्मों में ...,
ठन्डे होकर भी ये गर्मी बड़ी रखते है...,
तुम क्या जानो बेताबी क्या चीज़ होती है इस दिले बेक़रार कि ...,
यूँ करके बहाना बेहोशी का...,
जज़बातों कि बात करते है...!!!!
$almAn...
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