Monday 13 January 2014

कैसा नादाँ है तू बन्दे

है कैसा बेरहम वो ...,
या है मुझे वेहम वो...,
क्यूँ देता नहीं कोई इशारा वो...,
या रखता नहीं ज़रा सा रेहम वो...!!


अजीब सी कैफियत लिए ...,
वो ज़र्रे सी हैसियत लिए ...,
देख खुदका अमलनामा ...,
जाता है बार-बार सेहम वो...!!

फिर भी तक़दीर पे अपनी गुरूर बड़ा करता है ..,
कैसा नादाँ है तू बन्दे ख़ुदा से नहीं डरता है..,
है जब तक डौर छूटी हुयी इखट्टा करले नेकियां..,
के डौर खीचने 
के बाद कोई कुछ नहीं भरता है...!!!!


                                                 $almAn....

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